Sunday 20 October 2013

गीत - "नभ"


"इस नभ में जितने तारे हैं,
सब लगते सबको प्यारे हैं,
टिम - टिम करते हैं ये ऐसे,
कुछ राज़ बताने वाले हैं।

नभ काली मिट्टी का बर्तन,
चमकें बालू कण रातों को,
चंदा जैसे पैबन्द जड़ा,
ढ़लते ही रात उजाले हैं।

ये नभ है या वृदावन है,
कृष्णा का रूप धरे चंदा,
तारे सब गोपी बन कर के,
बस रास रचाने वाले हैं।"

 राजेश सक्सेना "रजत"
 07.10.13