Wednesday 16 April 2014

गीत - "बिछुड़न सजना से"



जाने कैसी मन में उसके बातें चलती होंगी,
जब बिछुड़न सजना से हो तो साँसें खलती होंगी।

कितने दिन के बाद वो आएगा घर कौन बताए,
उसके बिन हर पल दिन रातें काटा करनी होंगी।

आँखों में आँसू भर कर के उसने भेजा होगा,
आँखों से ओझल होने तक इक टक तकती होगी।

अंदर कर औंधे मुँह तकिये में मुँह दबाकर,
जब तक थक कर आँख लगी तब तक वह सिसकी होगी।

अपनी इस हालत पर उसने किस को कोसा होगा,
बच्चों पर वह खीझ दिखा गुस्से में झिड़की होगी।

.......  राजेश सक्सेना "रजत"
                  13.04.14