Saturday 31 December 2011

"नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें"

कुछ पल सज लें,
कुछ पल महकें,
कुछ पल बहकें.

कुछ गलबहियां,
झूमें नच लें.

जब पल आये,
नभ में,
टूटे तारे संग,
हम WISH कर लें.

लाये खुशियाँ भर,
आने वाला कल,
हो सुप्रभात,
हर दिन,
हर पल,
हम आनन्दित हों,
सब WISH पूरी हों,
ऐसा प्रभु, जीवन सबको दे दें.

"नव वर्ष की शुभकामनायें" आपके लिए.

                                                   राजेश सक्सेना "रजत"


Tuesday 20 December 2011

“खाड़ी युद्ध”

(This poem was written in the backdrop of “खाड़ी युद्ध”)

ये युद्ध की विभीषिका,
ये गर्जनाये तर्जना,
ये सामदाम, दंड, भेद,
ये शक्ति का, प्रचंड वेग,
ये आह कैसी उठ रही,
जय गीत कोई गुन रहा,
क्यों इर्ष्या मचल रही,
अधर्म छटपटा रहा,
है रक्त दोष आज फिर,
वीभत्स रूप ला रहा,
समष्टि, संविधान सब,
बिखर रहेअरण्य से,
मनुष्यता मनुष्य की,
पुरुषत्व डगमगा रहा.

                                    राजेश सक्सेना "रजत"
                                              1990-91


Friday 4 November 2011

गीत – “महंगाई”

हद है कर दी, हद है कर दी, (हद्दे कर दई, हद्दे कर दई,)
इस सरकार ने, हद है कर दी. (इस सरकार ने, हद्दे कर दई.)

खेतन के मालिक की मेहनत,
आलू गाँव में, एक रुपैया.
जब शहरन कीमंडी पहुंचा,
दस रुपैयाजेबें कट गयीं.

हद है कर दी, हद है कर दी, (हद्दे कर दई, हद्दे कर दई,)
इस सरकार ने, हद है कर दी. (इस सरकार ने, हद्दे कर दई.)

जो हमने थानीड़ बनाया,
मांग रुपैया, गिरवी काया.
सूद खोर, सरकार के कारण,
हाय, हमारी जान, निकल गयी.

हद है कर दी, हद है कर दी, (हद्दे कर दई, हद्दे कर दई,)
इस सरकार ने, हद है कर दी. (इस सरकार ने, हद्दे कर दई.)

जब हम, नंगे पाँव थे चलते,
मोटर गाड़ी, आदत डाली.
अब तक, लॉलीपॉप खिलाकर,
सत्ता ने अब, गर्दन पकड़ी.

हद है कर दी, हद है कर दी, (हद्दे कर दई, हद्दे कर दई,)
इस सरकार ने, हद है कर दी. (इस सरकार ने, हद्दे कर दई.)

जब हम, साधू, बन कर, रहते,
फाँकहवा हम, जी भी लेते.
धर्म का ढोंगी, हमको कहकर,
पा ली सत्ता, सब कुछ चर गयी.

हद है कर दी, हद है कर दी, (हद्दे कर दई, हद्दे कर दई,)
इस सरकार ने, हद है कर दी. (इस सरकार ने, हद्दे कर दई.)

Thursday 3 November 2011

"मैं और तू"

तेरी पेशानी पेये शिकन कैसी,
मौत मेरी हैतुझे जलन कैसी.

रफ्ता-रफ्ता होती थीजिंदगी बसर,
नज़र भेड़िये की, क्यूँ कर लगी ऐसी.

अल्लाह से माँग करसाँसे जो ले रहा था,
तेरे नाम की हिचकी, गले में फाँस, लगी जैसी.

कायदा मौत का जो, मुझको तू समझा रहा,
पहले तू मर के दिखावरना तेरी ऐसी की तैसी.

काबिले गौर, तेरे हाथ का, खंजर है,
तेरे लब पे, मेरी वाह, आज सजी वैसी.

(पेशानी – Forehead, शिकन – Wrinkle)

Sunday 23 October 2011

"दीपावली के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं"

आतिशें चल रहीं, रौशिनी हर तरफ,
झिलमिलाते दियों का, समय आ गया.
टिमटिमाते दियों का, समय आ गया.

है मुबारक घड़ी, घर में भगवान हैं,
हाँ छछूंदर पे बैठा,  कोई आ गया.

था दियों को लगाया, हरेक द्वार पर,
मेरी किस्मत, उजाला था, घर आ गया.
उसकी रहमत, उजाला था, घर आ गया.

था बुहारा ये घरलीप कर हर तरफ,
संग रोली सजाकर, सजन भा गया.

सब दुआएं बुजुर्गों कीबख्शीश  थीं,
उनके चरणों को छू कर, मजा आ गया.
छू के चरणों को जन्नत, था मैं पा गया.

इस दिवाली से तुम, इतना रौशन बनो,
इस दिवाली से तुम, इतना ऊँचा उठो,
हर कोई कह उठे, आफताब आ गया.

(आफताब – Sun)

Tuesday 11 October 2011

"घर-घर में संगीत"

मूसलइमामदस्ते मेंकुछइस तरह बजे,
बारीक हो रहीहर चीज़धुन सजे.
                
फटकते सूप से, लगता है कोई, साज़ बज रहा,
मिटटी निकल रही, कूड़ा निकल रहा.

रगड़ती, गाय, अपनी पूँछ से, आवाज़ आती है,
है उसमें जान, परिंदों को वोह, पहचान जाती है.

जो फुकनी फूँकते, चूल्हे में सुर, ऐसा ही लगता है,
सुलगती आग है, , पतीले में, खाना पकता है.

अँधेरे कमरे में, मच्छर, कुछ यूँ , भिनभिनाते हैं,
होश  खोओ, "जागते रहो", राग गाते हैं.

कोठरी में रखा संदूक, खुले तो कुछ गुनगुनाये है.
तकलीफ घर में होअमानत काम आए है.

शादी औ रौनकों मेंफूल की परातें निकल रहीं,
सजें पकवान, लें, लुत्फ़ मेहमान, औ गिलासें खनक रहीं.

खौलता दूध कड़ाहे में, कड्छुल शोर बरपाए,
बने रबड़ी, मलाई, सब उंगली चाट-चाट खाएं.

जो जच्चा को हो बच्चा, घर में थाली या तवा बजता,
मुरादें पूरी करता जो, उसका दरबार फिर सजता.

Thursday 15 September 2011

साक्षरता गीत - " मैया मोरी, आज मैं पढ़ने जाऊं"

हो, मैया मोरी, आज मैं, पढ़ने जाऊं.
हाँ, मैया मोरी, आज मैं, पढ़ने जाऊं.

जो मैं खाऊँ माखन-चोरी, सच-सच सब बतलाऊँ.
हाँ, मैया मोरी, आज मैंपढ़ने जाऊं.

ज्ञान-सरोवर डुबकी मारूं, पंडित कल कहलाऊँ.
हाँ, मैया मोरी, आज मैंपढ़ने जाऊं.

जब मैं पढ़कर जतन करूँ, गाँव उद्योग लगाऊं / उद्यम गाँव लगाऊं.
हाँ, मैया मोरी, आज मैं, पढ़ने जाऊं.

कैसे रहना, साफ संवरना, घर सबको बतलाऊँ.
हाँ, मैया मोरी, आज मैं, पढ़ने जाऊं.

सखा हमारे पढ़-पढ़ आवैं, पीछे क्यों रह जाऊं.
हाँ, मैया मोरी, आज मैं, पढ़ने जाऊं.

मेरी मेहनत, ज्ञान भी मेरा, दुगनी कीमत पाऊँ.
हाँ, मैया मोरी, आज मैं, पढ़ने जाऊं.

आज जो आंगन, बीज मैं बोऊँ, फल कल सबको खिलाऊँ / बटवाऊं.
हाँ, मैया मोरी, आज मैं, पढ़ने जाऊं.

तू दिन भर संग बाबा मेरेकाम न कछु करवाऊं.
हाँ, मैया मोरी, आज मैं, पढ़ने जाऊं.