आतिशें चल रहीं, रौशिनी हर तरफ,
झिलमिलाते दियों का, समय आ गया.
टिमटिमाते दियों का, समय आ गया.
है मुबारक घड़ी, घर में भगवान हैं,
हाँ छछूंदर पे बैठा, कोई आ गया.
था दियों को लगाया, हरेक द्वार पर,
मेरी किस्मत, उजाला था, घर आ गया.
उसकी रहमत, उजाला था, घर आ गया.
था बुहारा ये घर, लीप कर हर तरफ,
संग रोली सजाकर, सजन भा गया.
सब दुआएं बुजुर्गों की, बख्शीश थीं,
उनके चरणों को छू कर, मजा आ गया.
छू के चरणों को जन्नत, था मैं पा गया.
इस दिवाली से तुम, इतना रौशन बनो,
इस दिवाली से तुम, इतना ऊँचा उठो,
हर कोई कह उठे, आफताब आ गया.
(आफताब – Sun)