मौला, मौला, मौला, मौला, मेरे मौला.............
अल्लाह ने नवाज़ा,
बड़े प्यार से, मेरे ख्वाजा,
मैं मुरीद बन गया हूँ,
जब से बुलावा आया,
जब नींद में बुलाया.
मौला, मौला, मौला, मौला, मेरे मौला.............
मैं सर धरूँ टोकरिया,
नंगे पाँव, दरबार पहुंचूं.
तुझे चूमूं, करूँ मैं सदका,
तुझे चद्दर, फूल चढ़ाऊँ,
भर अंजुली, दूँ रेवड़ियाँ.
मौला, मौला, मौला, मौला, मेरे मौला.............
जो करूँ जतन कभी भी,
हर साँस में है तू ही,
है नमाज़ मेरी ख़ामोशी,
जगते हुए भी मदहोशी.
मौला, मौला, मौला, मौला, मेरे मौला.............
मुझे पास तू बुला ले,
दरगाह में जगह दे,
मैं गीत तुझ पर लिखूं,
हर कौम फिर सराहे,
मौला, मौला, मौला, मौला, मेरे मौला.............
मैं खाक में मिलूँ जब,
तेरे गीत बन कर बोलूँ,
गंग-जमुनी में बहूँ मैं,
और हिंद में मैं डोलूँ.
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