Tuesday, 6 March 2012

होली गीत

फागुन मन बौराए, ....... सजनवा.
फागुन मन बौराए.

लपटझपट के,
रंग रे डारयो,
सजनी भाग न पाए, ....... सजनवा.
फागुन मन बौराए.

फागुन मन बौराए, ....... सजनवा.
फागुन मन बौराए.

ढाप मृदंग की,
फगवा गावत,
सजनी नाच नचाए, ....... सजनवा.
फागुन मन बौराए.

फागुन मन बौराए, ....... सजनवा.
फागुन मन बौराए.

भर पिचकारी,
मारी साड़ी,
सजनी सिमटी जाए, ....... सजनवा.
फागुन मन बौराए.

फागुन मन बौराए, ....... सजनवा.
फागुन मन बौराए.

भर पिचकारी,
सौतन मारी,
सजनी मन जल जाए, ....... सजनवा.
फागुन मन बौराए.

फागुन मन बौराए, ....... सजनवा.
फागुन मन बौराए.

लाज जगत की,
छुप छुप खेलत,
अजब वो रंग लगाए, ....... सजनवा.
फागुन मन बौराए.

फागुन मन बौराए, ....... सजनवा.
फागुन मन बौराए.

                                               
राजेश सक्सेना "रजत"
        02.03.12

6 comments:

  1. बेहद खूबसूरत रंगमयी प्रस्तुति………… होली की हार्दिक शुभकामनाएँ !

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    1. वंदना जी, आप से प्रोत्साहन मिलता है तो बेहद ख़ुशी होती है.

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  2. बहुत ही खूबसूरत लिखे हैं सर!
    आपके ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगा।

    सादर
    -----
    ‘जो मेरा मन कहे’ पर आपका स्वागत है

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    1. यशवंत जी, प्रशंसा के लिए धन्यवाद.
      मैं अब आप के ब्लॉग ‘जो मेरा मन कहे’ पर एक मेम्बर बन गया हूँ और आप की रचनाओं को भी पढूंगा.

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  3. बहुत सुन्दर गीत............
    लयबद्ध और मीठा...

    शुभकामनाएँ..
    अनु

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    1. अनु जी, बहुत बहुत आभार.
      आप इस गीत को मेरे अंदाज़ में Facebook पर इस लिंक पर सुन सकती हैं.

      https://www.facebook.com/media/set/?set=a.231118956937270.51009.100001175015404&type=3#!/photo.php?v=3466265139826&set=vb.1366958462&type=2&theater

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