फागुन मन बौराए, ....... सजनवा.
फागुन मन बौराए.
लपट, झपट के,
रंग रे डारयो,
सजनी भाग न पाए, ....... सजनवा.
फागुन मन बौराए.
फागुन मन बौराए, ....... सजनवा.
फागुन मन बौराए.
ढाप मृदंग की,
फगवा गावत,
सजनी नाच नचाए, ....... सजनवा.
फागुन मन बौराए.
फागुन मन बौराए, ....... सजनवा.
फागुन मन बौराए.
भर पिचकारी,
मारी साड़ी,
सजनी सिमटी जाए, ....... सजनवा.
फागुन मन बौराए.
फागुन मन बौराए, ....... सजनवा.
फागुन मन बौराए.
भर पिचकारी,
सौतन मारी,
सजनी मन जल जाए, ....... सजनवा.
फागुन मन बौराए.
फागुन मन बौराए, ....... सजनवा.
फागुन मन बौराए.
लाज जगत की,
छुप छुप खेलत,
अजब वो रंग लगाए, ....... सजनवा.
फागुन मन बौराए.
फागुन मन बौराए, ....... सजनवा.
फागुन मन बौराए.
02.03.12
बेहद खूबसूरत रंगमयी प्रस्तुति………… होली की हार्दिक शुभकामनाएँ !
ReplyDeleteवंदना जी, आप से प्रोत्साहन मिलता है तो बेहद ख़ुशी होती है.
Deleteबहुत ही खूबसूरत लिखे हैं सर!
ReplyDeleteआपके ब्लॉग पर आकर बहुत अच्छा लगा।
सादर
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‘जो मेरा मन कहे’ पर आपका स्वागत है
यशवंत जी, प्रशंसा के लिए धन्यवाद.
Deleteमैं अब आप के ब्लॉग ‘जो मेरा मन कहे’ पर एक मेम्बर बन गया हूँ और आप की रचनाओं को भी पढूंगा.
बहुत सुन्दर गीत............
ReplyDeleteलयबद्ध और मीठा...
शुभकामनाएँ..
अनु
अनु जी, बहुत बहुत आभार.
Deleteआप इस गीत को मेरे अंदाज़ में Facebook पर इस लिंक पर सुन सकती हैं.
https://www.facebook.com/media/set/?set=a.231118956937270.51009.100001175015404&type=3#!/photo.php?v=3466265139826&set=vb.1366958462&type=2&theater