कुछ तो है तुझमें, जो मुझको बहुत भाया है,
है यही वज़ह जो, आज, तू मेरा साया है.
दूर रहते हो तो, नज़रें पुकारा करती हैं,
तेरे मदहोश नज़ारों में दिल लगाया है.
पास रहते हो तो, खुद में, मैं भूला रहता हूँ,
क्या यही वज़ह है, मैंने, तुझको बहुत रुलाया है.
हमने क्या-क्या न किया, ठान के दीवानों सा,
कुछ तो है मुझमें, जो तुझको भी, बहुत भाया है.
राजेश सक्सेना "रजत"
19.07.2009
Rajatji, Behad hi dil ke karib jane wale shabd hai, like it.
ReplyDeleteKomal ji, Bhaut Bahut Dhanyvad. Mujhe khushi hai ki aap ko meri rachna acchi lagi. Facebook per aap ka hardik swagat hai, jahan FB-Notes mein rachanayein aur kabhi kabhi wall par chadikayein bhi main post karta rahta hoon.
ReplyDeleteRegard, Rajesh Saxena "Rajat"