सटीक अभिव्यक्ति
वाह …………गुरु शब्द का सार्थक चित्रण कर दिया।
संगीता स्वरुप (गीत) जी और वंदना जी आप दोनों का प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद.
गुरु गोविन्द दोउ खरे काके लाग्यों पाए, बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दियो बताये
गुरु की यह व्याख्या मुझे बहुत पसंद आई.अर्ज़ किया है,वो हैं स्याही मेरी कलम की जो न हों तो टूट जाए. ___ संकल्प सक्सेना
गौतम जी, आप का ब्लॉग पर स्वागत है. आप ने सही दोहा उद्ध्रत किया है. धन्यवाद.
संकल्प, गुरु की महिमा पसंद करने के लिए, धन्यवाद. आप ने सही कहा है कि कलम में स्याही ख़त्म तो जीवन रस में Spontaneity ख़त्म. वे मेरुदंड के सामान हैं.
सटीक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteवाह …………गुरु शब्द का सार्थक चित्रण कर दिया।
ReplyDeleteसंगीता स्वरुप (गीत) जी और वंदना जी आप दोनों का प्रोत्साहन के लिए धन्यवाद.
ReplyDeleteगुरु गोविन्द दोउ खरे काके लाग्यों पाए, बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दियो बताये
ReplyDeleteगुरु की यह व्याख्या मुझे बहुत पसंद आई.
ReplyDeleteअर्ज़ किया है,
वो हैं स्याही मेरी कलम की
जो न हों तो टूट जाए.
___ संकल्प सक्सेना
गौतम जी, आप का ब्लॉग पर स्वागत है. आप ने सही दोहा उद्ध्रत किया है. धन्यवाद.
ReplyDeleteसंकल्प, गुरु की महिमा पसंद करने के लिए, धन्यवाद. आप ने सही कहा है कि कलम में स्याही ख़त्म तो जीवन रस में Spontaneity ख़त्म. वे मेरुदंड के सामान हैं.
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