सावन की घटा, क्यूँ आती नहीं,
मन, बिखरा - बिखरा, रहता है.
तेरे संग प्रीत, निभाने को,
मन, थोडा – थोडा, करता है.
तुम चुपके से, दिख जाते हो,
मन, दौड़ा – दौड़ा, करता है.
तू पास से मेरे, ज्यूँ गुजरे,
मन, ता था थैया, करता है.
तेरी, मंद मंद, मुस्कान दिखे,
मन, आजा – आजा, करता है.
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