रजत की रचनायें
Tuesday, 12 April 2011
भजन - “मम हृद, जन्मो हे श्री राम!”
मम हृद, जन्मो हे श्री राम!
बसो मेरी काया में श्री राम.
नैनों
को प्रभु राम दरस हों,
कानों में गूंजें राम.
सांसों में हे राम बसो तुम,
मुख संस्कृति में राम.
रोम-रोम अभिराम समाय,
स्थिर हो मन राम.
बुद्धि विवेक राम रचि राखा,
नतमस्तक मैं राम.
2 comments:
mkg
17 May 2011 at 00:26
BAHUT KHOOB
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Rajesh Saxena "Rajat"
10 August 2011 at 23:44
mkg जी, बहुत बहुत शुक्रिया.
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BAHUT KHOOB
ReplyDeletemkg जी, बहुत बहुत शुक्रिया.
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