बहुत ही भोले हैं हनुमान,
बहुत ही चंचल हैं हनुमान.
मुख मंडल सब भाव विदित हैं,
भक्ति का देते हैं ज्ञान.
अष्ट सिद्धि, नव निधि सब पावें,
जो सुमिरें हनुमान.
माँ सीता की व्यथा न भायी,
मुदरी दी, अंकित था राम.
भूख लगे तो बाग़ उजाड़ें,
जलाते, लंका का अभिमान.
औषधि जो वो ढूंढ़ न पावें,
उठालें, पर्वत को, बलवान.
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